Sunday, May 2, 2010

The Surah of Quran's

Sureh "Fateha" Allah k Azab se bachati hai,

Sureh "Yaseen" Qayamat k din piyas se,

Sureh "Waqeya" Faaqe se,

Sureh "Mulk" Azaabe-E-Kabr se.

Inshallah



Saturday, March 20, 2010

Insaniyat K liyen!

Many Birds die in summer due to sunstrokes & water scarsity. Pls keep water & some food for birds in galleries.


PLS FORWARD THIS MESSAGE TO ALL.

THANX

Thursday, March 11, 2010

In the name of ALLAH

प्रस्तुत पोस्ट में 3 कार्टून और 3 काव्य रचनाओं के साथ 2 न्यूज़ हैं ।एक न्यूज़ की हैडिंग है गधों का गंगा स्नान क्योंकि यह कोई नयी बात नहीं है । गधे तो काफ़ी पहले से गंगा में नहाते आ रहे हैं । इसलिए इस पर किसी तब्सरे की ज़रूरत नहीं है ।दूसरी न्यूज़ की हैडिंग है मठ मन्दिरों में अकेले न भेजें महिलाओं को यह न्यूज़ बरबस ही अपनी तरफ़ ध्यान खींचती है ।यह आदेश खुद हिन्दू धर्म के जि़म्मेदारों की तरफ़ से जारी हुआ है ।यह एक स्वागत योग्य आदेश है क्योंकि जहां एक तरफ़ इससे हिन्दू नारी की आबरू की हिफ़ाज़त होगी वहीं दूसरी तरफ़ हिन्दू धर्म इसलाम के एक क़दम और क़रीब हो गया है । वक्त साबित कर रहा है कि मस्जिद हो या मंदिर सिस्टम सिर्फ़ इसलाम का ही कामयाब है । इसलाम का यह नियम है कि औरत जब घर से बाहर जाये तो वह घर के किसी महरम रिश्तेदार पिता भाई पति आदि को ज़रूर साथ ले ले । इस तरह बहुत से हादसों से उसकी हिफ़ाज़त हो जाती है ।अगर आदमी अपनी अक्ल से काम लेकर भी कोई नियम बनाये तो इससे अच्छा नियम नहीं बना पायेगा । पेश है न्यूज़ का एक अंश -अयोध्या ः दिल्ली के बाबा शिवमूरत द्विवेदी उर्फ़ इच्छाधारी संत स्वामी भीमानन्द , तमिलनाडु के स्वामी नित्यानन्द और ग़ाज़ियाबाद के बाबा अनूप सहाय । एक के बाद एक कई बाबाओं का सैक्स रैकेट , अश्लील सीडी और अपहरण जैसे अपराधों में नाम आने के बाद रामनगरी के धर्माचार्यों में ख़ौफ़ है ।इसी वजह से संतों ने लक्ष्मण रेखा भी खींच दी है ।महिला भक्तों को मठ और मंदिरों में अकेले न आने का मशविरा दिया गया है । कुछ वरिष्ठ धर्माचार्यों ने तो मठ और मंदिरों में अकेले ही आने वाली महिला भक्तों को दर्शन देने से ही इनकार करना ‘शुरू कर दिया है । महिला भक्तों को यह कहकर वापस लौटाया जा रहा है वह अपने परिवार के किसी पुरूष सदस्य के साथ आयें ।बाबाओं का यह रूख़ देश विदेश से रोज़ाना अयोध्या आने वाले हज़ारों भक्तों को विचलित भी कर रहा है । अब तक यहां के संत और महंत महिला और पुरूष भक्तों में कोई भेद नहीं करते थे ।अब कुछ गत संवादके बारे में...श्री राम गौरव रक्षा अभियानज़िन्दगी की पाठशाला के ज्ञानी शिक्षक जी का मैं तहे दिल से स्वागत करता हूं । कम से कम उन्होंने वेबजनों के सामने स्थिति स्पष्ट करने का प्रयास तो किया ।श्रीराम चन्द्र जी के गौरव रक्षण हेतु आपका यह लेखकीय प्रयास सराहनीय तो है परन्तु आपके अनुवाद में त्रुटियां हैं बल्कि काल गणना भी सरासर ग़लत है । श्री रामचन्द्र जी त्रेतायुग में हुए थे । जो कि आज से 12लाख 96 हज़ार साल पहले की घटना है । इतने पुराने समय के ग्रह नक्षत्रों की स्थिति बेचारा कम्प्यूटर क्या बताएगा?क्या ‘शास्त्रानुसार त्रेतायुग मात्र 5 - 7 हज़ार वर्ष पहले हुआ था ?कृपया बताएं कि आप चारों युगों को कितनी कितनी अवधि का मानते हैं ?द्वापर के श्री कृष्ण जी का काल अब से कितने वर्ष पहले मानते हैं ?रामायण के अनुसार श्री दशरथ जी की रानियों को जब पुत्रेष्टि यज्ञ में पधारे युवा ऋषि ने सन्तानोत्पत्ति हेतु विशेष खीर खिलाई थी तब उनकी आयु कितनी थी ?मैं सभी पाठकवृन्द का आभारी हूं । बेशक आपका यह आना जाना बेकार न जाएगा । आपके सामने यहां वे राज़ प्रकट होंगे जिन्हें वर्णवादियों ने हज़ारों साल से बड़े जतन से छिपा रखा है । मालिक आपके सारे दुख दूर करे और आपके साथ मेरे भी ।आमीन तथास्तु ।सभी धर्म बन्धु मेरे द्वारा चलाए जा रहे श्री राम गौरव रक्षा अभियान में आहूत हैं। जैसे चाहें वैसे सम्मिलित होकर पुण्यलाभ प्राप्त करें ।...और चिपलूनकर जी से तो मैं बाद में पूछूंगा ।कल की पोस्ट मैं अपने प्रति विशेष स्नेहशील आदरणीय बुजुर्ग श्री द्विवेदी जी को समर्पित करने की इच्छा रखता हूं ।विषय है गायत्री मन्त्र को वेदमाता क्यों कहते हैं ?
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Wednesday, March 10, 2010

वेदों में कहाँ आया है कि इन्द्र ने कृष्ण की गर्भवती स्त्रियों की हत्या की ? cruel murders in vedic era and after that
इसलाम का अर्थ है ‘ ‘शान्ति ‘ ,ईश्वर का आज्ञापालन , ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण । जो आदमी इस मौलिक गुण से युक्त हो वह मुसलिम कहलाता है ।पवित्र हदीस के मुताबिक़ मुसलिम वह होता है जिसके ‘शर से अन्य लोग सुरक्षित हों ।वर्ण व्यवस्था के अत्याचार से त्रस्त बहूत से लोगों ने राहत पाने के लिए हिन्दू संस्कृति का त्याग किया और जिसको जहां ख़ैरियत नज़र आयी वहीं चला गया । गोरखपुर के राजा ने भी जैन मत अपना लिया था क्योंकि वेदवादी पण्डों ने उससे यज्ञ कराया और यज्ञ के नाम पर उसकी रानी का सहवास घोड़े से करवा दिया । बेचारी कोमल रानी इतना बड़ा पुण्य झेल न सकी और मर गयी । राजा ने वैदिक धर्म को त्याग दिया । इस घटना को दयानन्द जी ने सत्यार्थ प्रकाश में बयान किया है । बहरहाल बहुत से कारणों से लोगों ने अन्य मत ग्रहण किये । इन्हीं लोगों में इसलाम ग्रहण करने वाले भी थे । यह भारत में भी हुआ और भारत से बाहर भी हुआ । इस तब्दीली के बावजूद प्रायः लोग न तो जात्याभिमान जैसे अपने पूर्व के कुसंस्कारों को त्याग सके और न ही वे ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण के उस स्तर को पा सके जो कि इसलाम एक आदमी के लिए मुक़र्रर करता है ।पूर्ण ‘शान्ति के लिए ‘शान्तिस्वरूप परमेश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण दरकार है और अधिसंख्य मुसलमानों में इसका अभाव स्पष्ट है । पूर्ण समर्पण का यही अभाव मुसलिम दुनिया में सारे फ़साद की जड़ है । अन्यायपूर्वक किसी को सताना या उसकी जान ले लेना एक मुसलमान के लिए हराम है । ऐसे जुर्म के अपराधी को उस मालिक ने पवित्र कुरआन में लोक परलोक में भयानक दण्ड की चेतावनी दी है । ज़ुल्म इसलाम की प्रकृति के खि़लाफ़ है । यह हर काल में निन्दनीय रहा है और आज भी है । आपने मुसलमानों द्वारा नाइजीरिया में घटित कुकृत्य की निन्दा करने के लिए मुझे पुकारा है । मैं हाज़िर हूं और आपके साथ हूं । यदि यह घटना अपने प्रचार के अनुरूप ही घटी है और इसके ज़िम्मेदार वास्तव में मुसलिम हैं तो मैं इसकी निन्दा करता हूं । साथ ही कुछ अर्सा पहले पाकिस्तान में घटित इसी तरह की घटना की भी मैं निन्दा करता हूं ।इसी के साथ मैं भारत में आये दिन होने वाली उन घटनाओं की भी निन्दा करता हूं जिनमें कभी तो वर्णवादी हिन्दू ग्राहम स्टेंस को उसके बच्चों के साथ ज़िन्दा जला देते हैं और कहीं ये लोग ईसाई नन्स को अपनी हवस का निशाना बनाते रहते हैं। ज़ुल्म करने वाले हरेक आदमी की चाहे वह वर्णवादी हो या मुसलमान , मैं निन्दा करता हूं । न केवल वर्तमान काल के ज़ालिमों की निन्दा करता हूं बल्कि पूर्व में गुज़र चुके अत्याचारियों की भी निन्दा करता हूं । चाहे वह कितना ही बड़ा बादशाह या सम्राट ही क्यों न रहा हो ?हक़ीक़त राय को सज़ा ए मौत देने वाले क़ाज़ी की मैं निन्दा करता हूं और श्री रामचन्द्र जी द्वारा ‘शूद्र ‘शम्बूक की हत्या के प्रकरण की सत्यता को ही नकारता हूं परन्तु जो उसे सत्य घटना मानते हैं उनसे इस जघन्य और निर्मम हत्याकांड की निन्दा का अनूरोध करता हूं ।अमेरिका के दो टॉवर्स पर हमला करके निर्दोष नागरिकों की जान लेने वालोंकी मैं निन्दा करता हूं और राजा रावण की दुश्मनी के बदले में श्री हनुमान जी द्वारा लंकावासी करोड़ों मासूम ‘शहरियों को जीवित जला देने की घटना को सच मानने से ही इनकार करता हूं परन्तु जो लोग लंका दहन को सच मानते हैं उनसे मैं इस घटना की निन्दा का अनुरोध करता हूं । किस तरह औरतें अपनी छाती से अपने मासूम बच्चे चिपका कर उस आग में जलीं ? रामायण में स्पष्ट लिखा है ।परशुराम द्वारा अकारण अपनी मां रेणुका को और तत्पश्चात करोड़ों क्षत्रियों को मार डालने की बात को मैं विश्वसनीय नहीं मानता लेकिन जो लोग इन बातों को सच मानते हैं उनपर इनकी निन्दा वाजिब है ।अकारण हुए महाभारत के युद्ध में मरने वाले एक अरब छियासठ करोड़ मृतकों के प्रति कौन ‘शोक व्यक्त करेगा ?उनकी विधवाओं और उनके अनाथ बच्चों की दुदर्शा का ज़िम्मेदार किसे माना जाएगा ?लेकिन हिंसा का इतिहास तो और भी ज़्यादा पुराना है । पवित्र कुरआन में युद्ध के नियमों में हिंसा तलाशने वाले संकीर्णवृत्ति लोगों के ज्ञानवर्धन के लिए वेद से कुछ अंश उद्धृत हैं -कृष्णगर्भा निरहन्नृजिश्वनाअर्थात इंद्र ने ऋजिश्वा राजा के साथ मिलकर कृष्ण नाम के असुर की गर्भवती स्त्रियों को मारा था। { ऋगवेद
1/101/1 }यो वर्चिनः शतमिंद्रः सहस्रमपावपद्अर्थात इंद्र ने वर्ची के सौ हज़ार पुत्रों को भूमि पर सुला दिया अर्थात मार दिया । { ऋगवेद 2/14/6 }मुसलिम ‘शासकों द्वारा किये गये अपेक्षाकृत न्यून रक्तपात को लेकर आये दिन इसलाम और मुसलमानों के प्रति अपनी दुर्भावना प्रकट करने वाले अपने खू़नी इतिहास पर ‘शर्मिन्दा होना आख़िर कब सीखेंगे ?आदरणीय चिपलूनकर जी ,यहां आकर पुकार लगाने से पहले क़त्ल आतंकवाद और लुचाप्पन के आरोपों में गिरफ़तार ‘शंकराचार्य पुरोहित साध्वी बापू और बाबाओं की निन्दा में आज तक आपने कुल कितनी पोस्ट क्रिएट कीं ?आपने हमें जिस आशा के साथ पुकारा था हमने उसे पूरा करने की हद भर कोशिश की है ।हम भी आपसे उपरोक्त वर्णित घटनाओं की निन्दा की आशा करते हैं। आपके द्वारा उठाये गये अनपेक्षित प्रसंग के पटाक्षेप के बाद मैं आपको याद दिलाना चाहूंगा कि आपने श्री रामचन्द्र जी और सीता माता के गौरव को क्षति पहुंचाने वाले उस मुख्य मुद्दे का कोई निराकरण करना क्यों उचित नहीं समझा जोकि प्रस्तुत पोस्ट का मुख्य विषय है ?क्या इसे आपके द्वारा विषयान्तर करके ध्यान बंटाने की तकनीक का इस्तेमाल माना जाये जो कि आदमी निरूत्तर और लाचार होने की दशा में करता है ?या फिर यह माना जाए कि आपको न तो उन दोनों के मान सम्मान की कोई परवाह है और न ही इसके निराकरण के किसी उपाय का ही ज्ञान है ?आखि़र आपका यह तथाकथित राष्ट्रवाद है किस काम का ?कम से कम आप मेरी तरह रामायण के ऐसे असुविधाजनक प्रसंगों की सत्यता को तो नकार ही सकते थे । लेकिन आपने यह भी नहीं किया ।चलिए मान लेते हैं कि आपको तथाकथित राष्ट्रवाद के प्रचार के चक्कर में पड़कर अपने धर्म के मर्म को समझने अवसर नहीं मिला लेकिन दूसरों ने अपने होंठ क्यों सी लिए ?आख़िर मुसलमान से इतनी नफ़रत क्यों ? कि अगर वह भारत की अस्मिता के प्रतीक श्री रामचन्द्र जी के गौरव की लड़ाई लड़े तब भी उसका साथ देनेकोई न आए ?आख़िर वो लोग कहां सो गये जो चिपलूनकर जी की पोस्ट पर उन्हें उनकी निष्पक्षता की बधाई देने के लिए तांता लगाए खड़े थे ?उनमें से कोई हमें बधाई देने आखि़र क्यों नहीं आया ?अब भी आप इस पोस्ट को पढ़कर ‘शायद चुपचाप सरक जाएं लेकिन मालिक आपको देख रहा है । एक दिन आप उसके सामने होंगे और अपने कर्मों का हिसाब उसे दे रहे होंगे । तब सत्य को नज़रअन्दाज़ करने की आप क्या जायज़ वजह उसे बताएंगे यह आप आज सोच लीजिए ।अपने लिए और आप सभी के लिए प्रभु से आशीष की कामना करता हूं ।अग्ने नय सुपथा राय अस्मान । { वेद }
Posted by DR. ANWER JAMAL at
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अपने लिए और आप सभी के लिए प्रभु से आशीष की कामना करता हूं । god bless you brother
अज़ीज़ भाई सलीम ख़ान साहबआपने मेरी हौसला अफ़जाई की । इसके लिए मैं आपका तहे दिल से मशकूर हूं । लेकिन मैं अर्ज़ करना चाहूंगा कि मैं कोई युद्ध नहीं कर रहा हूं बल्कि हिन्दी वेब दुनिया पर बसने वाली मकड़ियों के जालों की , महाजालों की सफ़ाई मा़त्र कर रहा हूं । मकड़ियों के जाले क़िले नहीं कहलाते और न ही उन पर किसी चढ़ाई की ही ज़रूरत हुआ करती है । इनके लिए तो बस ...और अगर इसे युद्ध भी समझा जाए तो इसकी मुशाबिहत हॉलीवुड फिल्म मैट्रिक्स से की जा सकती है । जिसमें कुछ ताक़ते लोगों को ज़हनी तौर पर अपना गुलाम बनाये रखना चाहती हैं और वे उन लोगों के सफ़ाये का मन्सूबा बनाती हैं जो लोगों को उनके ‘ ति‍लिस्म से आज़ाद कराने के लिए संघर्ष करते हैं । लेकिन न तो यह पूरी तरह मैट्रिक्स है और न ही यहां के सभी लोग अपनी अक्ल बन्द किये बैठे हैं । इसलिए इन्शा अल्लाह जल्दी ही नफ़रतें ख़त्म होंगी और हमारी दुनिया में अमन का सूरज चमकेगा । हमदर्दी की हवाएं भी चलेंगी और ये पवित्र पुण्य भूमि मुहब्बत की खुश्बुओं से भी महकेगी ।मुझे मालिक से पूरी उम्मीद है कि जो आज तल्ख़ियां दिखा रहे हैं कल मुहब्बतें दिखाने में वही आगे होंगे । अल्लाह हमें इन सभी भाइयों और बहनों के साथ ईमान की दौलत अता करे और सदा के लिए आनन्द लोक स्वर्ग जन्नत में आबाद करे । और उससे पहले पहले भी हम सबको इसी धरा पर स्वर्ग सुख प्रदान करे ।
पवित्र वेदों में भी इस भाव की बहूत सी प्रार्थनाएं आई हैं और पवित्र कुरआन में भी । आओ इन पवित्र मन्त्रों और दुआओं को साकार करने लिए अपनी हद भर सबके साथ मिलकर प्रयास करें ।सभी पाठक बन्धुओं का बहुत बहुत आभार ।अपनी राय से हमें ज़रूर नवाज़िये ?
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